
पूसा, नई दिल्ली से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में हुआ
अल्मोड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, पूसा में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा कृषि अवसंरचना कोष, पशुपालन, मत्स्यपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित 2100 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया गया।
इस ऐतिहासिक अवसर का सीधा प्रसारण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में एक भव्य कार्यक्रम के रूप में किया गया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह दिन ऐतिहासिक है क्योंकि आज भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख की जयंती है। दोनों महान विभूतियों ने अपना जीवन किसानों और गरीबों के कल्याण को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाओं का शुभारंभ आज के दिन इन महापुरुषों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग विभाग, नई दिल्ली अजय टम्टा ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। उन्होंने संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि विवेकानंद संस्थान लगातार किसानों की आय वृद्धि और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की यह पहल देश के कृषकों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में अल्मोड़ा नगर निगम के महापौर अजय वर्मा उपस्थित रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि ये योजनाएं किसानों तक सीधे लाभ पहुंचाने में कारगर सिद्ध होंगी। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे मेहनत, ईमानदारी और समर्पण के साथ कृषि में नई तकनीकों को अपनाकर आत्मनिर्भर बनें।
संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत ने मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य देश के 100 पिछड़े कृषि जिलों में व्यापक परिवर्तन लाना है। उन्होंने बताया कि यह योजना 12 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत कर कृषि विकास की दिशा में नई रणनीति प्रस्तुत करती है। इसके तहत भंडारण क्षमता बढ़ाने, सिंचाई सुविधाओं के विकास, फसल विविधीकरण और जलवायु-लचीली कृषि प्रणालियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
डॉ. लक्ष्मीकांत ने बताया कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा और चमोली जिले इस योजना में शामिल किए गए हैं। वहीं दलहन आत्मनिर्भरता मिशन राज्य के सभी जिलों में लागू किया जाएगा। अगले छह वर्षों में अरहर, उड़द, मसूर जैसी दलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि इसका प्रमुख लक्ष्य है। उन्होंने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने और सामूहिक घेरबाड़ जैसी पहल पर भी जानकारी दी।
कार्यक्रम में फसल सुधार विभागाध्यक्ष डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ ने फसल सघनता एवं सब्जी फसलों की उन्नत तकनीकों पर विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वैज्ञानिकों डॉ. कृष्णकांत मिश्रा, डॉ. पंकज कुमार मिश्रा, डॉ. अनुराधा भारतीय, डॉ. प्रताप दिवेकर और डॉ. अमित कुमार ने क्रमशः फसलों के रोग नियंत्रण, मृदा उर्वरता, दलहनी फसलों की तकनीकी, कीट प्रबंधन तथा जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर व्याख्यान दिए।
सहायक कृषि अधिकारी डॉ. किरण आर्या ने कृषि विभाग की योजनाओं की जानकारी दी।
इस व्यापक कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रेस एवं मीडिया प्रतिनिधियों सहित 568 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। किसानों ने प्रधानमंत्री के संबोधन को ध्यानपूर्वक सुना और योजनाओं के प्रति उत्साह व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. कामिनी बिष्ट, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ ने प्रस्तुत किया। संपूर्ण आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत के निर्देशन में डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ, डॉ. कृष्णकांत मिश्रा और डॉ. कुशाग्र जोशी के समन्वय में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।




