
धारचूला से विशेष रिपोर्ट
धारचूला। भगवान भोलेनाथ के दिव्य धाम आदि कैलाश और ॐ पर्वत के दर्शनों के लिए इस वर्ष पहुंचे तीर्थयात्रियों ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पर्यटन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 में अब तक 31,598 श्रद्धालुओं ने शिवधाम के दर्शन कर अपनी श्रद्धा अर्पित की है। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में कहीं अधिक है।
धारचूला और व्यास घाटी में यात्रियों की इस बढ़ती आमद ने न केवल क्षेत्र के धार्मिक महत्व को नई पहचान दी है, बल्कि सीमांत इलाकों में रोजगार और रिवर्स पलायन की दिशा में भी नई संभावनाएं खोली हैं।
पिछले चार वर्षों (2022 से 2025) में कुल 72,732 श्रद्धालु आदि कैलाश और ॐ पर्वत के दर्शन कर चुके हैं। इस यात्रा में लगातार बढ़ती संख्या इस बात का प्रमाण है कि अब यह क्षेत्र उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में शुमार हो चुका है।
व्यास घाटी में गूंजा ‘हर-हर महादेव’
व्यास घाटी में लिपू पास तक सड़क निर्माण पूरा होने और आदि कैलाश तक सड़क मार्ग सुगम होने के बाद यहां होम स्टे, कैफे, और रेस्तरां के कारोबार में तेजी आई है। गूंजी गांव, जिसे केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज घोषित किया है, अब धार्मिक और साहसिक पर्यटन का केंद्र बन चुका है। यहां से एक मार्ग आदि कैलाश और दूसरा ॐ पर्वत की ओर जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों पहले जो परिवार मैदानी इलाकों में पलायन कर गए थे, वे अब पुनः व्यास घाटी लौटने लगे हैं। क्षेत्र में बाइक राइडर्स और छोटे वाहनों की बढ़ती आवाजाही ने भी आर्थिक गतिविधियों को नया जीवन दिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा – ‘शिवभूमि बन रही आकर्षण का केंद्र’
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि—
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा आदि कैलाश और ॐ पर्वत के दर्शन के बाद इस क्षेत्र की लोकप्रियता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। शिव उपासना के केंद्र के रूप में यह घाटी अब न केवल भक्तों के लिए, बल्कि एडवेंचर प्रेमियों और बाइक राइडर्स के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रही है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि स्थानीय लोग आने वाले श्रद्धालुओं का दिल से स्वागत करते हैं, जिससे इस क्षेत्र की पारंपरिक अतिथि सत्कार की संस्कृति और भी मजबूत हुई है।
पर्यटन और आस्था का संगम
आदि कैलाश यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो गई है, बल्कि यह अब स्थानीय विकास और स्वरोजगार की प्रेरणा भी बन रही है। व्यास घाटी के गांवों में चहल-पहल लौट आई है, जिससे सीमांत उत्तराखंड में विकास की नई कहानी लिखी जा रही है।
“जहां हर पत्थर में है भोले का वास, वहीं खिल उठा सीमांत उत्तराखंड का विकास।”





