
अल्मोड़ा। छठे राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष को भेजे गए एक पत्र में अल्मोड़ा नगर को बनारस की तर्ज पर “मंदिरों की नगरी” और “हेरिटेज नगर” घोषित करने की मांग उठी है। पत्र में कहा गया है कि चंद राजाओं की राजधानी और लगभग पाँच सौ साल पुरानी सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध अल्मोड़ा नगर अपनी अनूठी पहचान और परंपराओं के कारण विश्वभर में विख्यात है।
आपदा प्रबंधन और आधारभूत सुविधाओं पर जोर
पत्र में उल्लेख किया गया है कि नगर की बढ़ती आबादी और जल निकासी की कमी से अल्मोड़ा आपदा की दृष्टि से संवेदनशील हो चुका है। जोशीमठ जैसी घटनाओं से सबक लेते हुए नगर को सीवर लाइन और ड्रेनेज सिस्टम जैसी बुनियादी सुविधाओं से लैस करना आवश्यक है, ताकि किसी भी दैवीय आपदा के दौरान बड़े जान-माल के नुकसान से बचा जा सके।
मंदिरों की नगरी घोषित करने की मांग
मांगकर्ताओं ने कहा कि अल्मोड़ा न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि धार्मिक आस्था का भी प्रमुख केंद्र है। नगर के आसपास स्थित जागेश्वर के शिव मंदिर, अष्ट भैरव, नव दुर्गा और कटारमल का सूर्य मंदिर विश्वस्तरीय धरोहर हैं। इन्हें देखते हुए अल्मोड़ा को बनारस की तरह “मंदिरों की नगरी” घोषित किया जाना चाहिए।
हेरिटेज दर्जे से बढ़ेगी पहचान
पत्र में कहा गया कि चंद राजाओं की राजधानी और समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक अल्मोड़ा पूर्ण रूप से “हेरिटेज नगर” बनने की योग्यता रखता है। यदि इसे हेरिटेज नगर घोषित कर विश्व स्तरीय अवस्थापना विकसित की जाती है, तो यहां आने वाले देश-विदेश के पर्यटक वास्तव में महसूस कर पाएंगे कि वे एक सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े शहर का अनुभव कर रहे हैं।
विशेष पैकेज की आवश्यकता
नगर को दैवीय आपदाओं से सुरक्षित रखने और वैश्विक स्तर पर विकसित करने के लिए विशेष पैकेज की तत्काल आवश्यकता बताई गई है। पत्र में कहा गया है कि यदि अल्मोड़ा को हेरिटेज नगर और मंदिरों की नगरी घोषित किया जाता है, तो यह निर्णय न केवल नगरवासियों को गौरवान्वित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा।
नगर की जनता ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि माँ नंदा देवी के पावन प्रांगण से इस घोषणा को अमलीजामा पहनाया जाए, ताकि अल्मोड़ा को उसका उचित दर्जा मिल सके।





