
नन्हें कलाकारों ने लोकनृत्यों से बांधा समां, माताओं की प्रस्तुति भी बनी आकर्षण
अल्मोड़ा। देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा में आयोजित ऐतिहासिक माँ नन्दा देवी मेला 2025 का शनिवार का दिन नन्हें कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों के नाम रहा। नन्दा देवी मंदिर प्रांगण में जब नटराज डांस इंस्टीट्यूट, अल्मोड़ा के छोटे-छोटे कलाकार मंच पर उतरे तो पूरा वातावरण तालियों की गड़गड़ाहट और लोकधुनों की मिठास से गूंज उठा।
नटराज डांस इंस्टीट्यूट के बच्चों ने नीरज सिंह बिष्ट और हर्ष टम्टा के निर्देशन में लोकनृत्य, समूह नृत्य और भावनात्मक एकल प्रस्तुतियां दीं। खासतौर पर कुमाऊँनी लोकधुनों पर आधारित नृत्य ने दर्शकों का दिल जीत लिया। बच्चों की पारंपरिक वेशभूषा, उनके चेहरे की मासूमियत और ऊर्जावान प्रस्तुतियों ने वातावरण को जीवंत कर दिया। दर्शक लगातार तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साहवर्धन करते रहे।
वरिष्ठ नागरिकों ने भी बच्चों की प्रस्तुतियों की खुलकर सराहना की। उनका कहना था कि इस तरह के मंच स्थानीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करते हैं और नई पीढ़ी को अपनी परंपरा और लोकधरोहर से जोड़ते हैं। बच्चों ने अपनी प्रस्तुति में लोक और आधुनिकता का सुंदर समन्वय पेश किया, जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया।
इस अवसर को और भी खास बना दिया जब नटराज डांस इंस्टीट्यूट ने केवल बच्चों को ही नहीं बल्कि उनकी माताओं को भी मंच दिया। महिलाओं ने जब लोकगीतों और लोकनृत्यों की प्रस्तुति दी तो पूरा प्रांगण तालियों और जयकारों से गूंज उठा। माताओं की इस भागीदारी ने साबित किया कि नंदा देवी मेला सिर्फ बच्चों और युवाओं का नहीं बल्कि सभी आयु वर्ग का उत्सव है।
आयोजन समिति ने नटराज डांस इंस्टीट्यूट की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि छोटे कलाकारों को मंच देना और उनकी प्रतिभा को समाज के सामने प्रस्तुत करना सराहनीय कार्य है। समिति ने कहा कि इस प्रस्तुति को मेले का “सांस्कृतिक आकर्षण” माना गया और आने वाले वर्षों में भी ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
नटराज डांस इंस्टीट्यूट के नन्हें कलाकारों ने अपनी लय, ताल और नृत्य की अदाओं से यह साबित कर दिया कि अल्मोड़ा की धरती सांस्कृतिक धरोहर से परिपूर्ण है। बच्चों ने जहां कुमाऊँनी लोकनृत्य की प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, वहीं माताओं ने अपनी पारंपरिक प्रस्तुति से वातावरण को और भी आध्यात्मिक और भावपूर्ण बना दिया।
नन्दा देवी मंदिर प्रांगण देर रात तक लोकधुनों, तालियों और उत्साह से सराबोर रहा। श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक इस दृश्य को लंबे समय तक याद रखेंगे।






