
कृषि शोध योग्य मुद्दों एवं रोडमैप पर विशेषज्ञों ने रखे विचार
अल्मोड़ा। भाकृअनुप–विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा प्रक्षेत्र हवालबाग स्थित सभागार में ‘‘राज्य से सम्बन्धित प्राथमिकताएं – कृषि शोध योग्य मुद्दे एवं रोडमैप पर परामर्श बैठक’’ का आयोजन किया गया। बैठक में आगामी विकसित कृषि संकल्प अभियान (03 से 18 अक्टूबर 2025) पर भी चर्चा हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ परिषद् गीत से हुआ।
संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने स्वागत उद्बोधन देते हुए बैठक की अवधारणा पर प्रकाश डाला। बैठक के मुख्य अतिथि डॉ. एस. पी. दास, निदेशक, भाकृअनुप-आर्किड अनुसंधान केंद्र, सिक्किम ने कहा कि उत्तराखण्ड एवं हिमाचल की जलवायु पुष्प उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल है। उन्होंने भाकृअनुप-आर्किड अनुसंधान केंद्र व विवेकानन्द संस्थान के समन्वय से किसानों की आजीविका संवर्धन का आश्वासन दिया।
डॉ. अमित पांडे, निदेशक, केंद्रीय शीतजल मात्स्यिकीय अनुसंधान संस्थान, भीमताल ने मत्स्य पालन को किसानों की आर्थिक सुदृढ़ता का माध्यम बताते हुए विपणन सुविधाओं की आवश्यकता जताई।
डॉ. ए. एस. नैन, वैज्ञानिक सलाहकार, जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर ने जंगली जानवरों से बचाव हेतु सोलर घेर-बाड़, भांग उत्पादन, भूमि चकबंदी, मशरूम व मधुमक्खी पालन, आलू बीज उत्पादन एवं पाइन नीडिल अपघटन पर बल दिया।
डॉ. रमेश सिंह नितवाल, अतिरिक्त निदेशक, पशुपालन, कुमाऊं मंडल ने पशुपालन को कृषि के साथ जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने पशु रोगों एवं टीकाकरण की जानकारी दी और पोषक चारे की उपलब्धता को आवश्यक बताया।
पी. के. सिंह, संयुक्त निदेशक (कृषि), कुमाऊं ने जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा हेतु किफायती तार-बाड़ एवं कम अवधि की फसलों (उड़द, अरहर, भांग) पर शोध की जरूरत पर जोर दिया।
अविनाश सिंह, सहायक निदेशक मत्स्य, अल्मोड़ा ने ट्राउट उत्पादन व विपणन हेतु ‘कोल्ड कंटेनर’ गाड़ियों की व्यवस्था का सुझाव दिया।
संजय काला, सहायक निदेशक, रेशम विभाग ने विभागीय कृषक उपयोगी परियोजनाओं की जानकारी दी।
डॉ. निपेंद्र चौहान, सहायक निदेशक, सुगंधित पौध केंद्र, देहरादून ने तिमूर, गुलाब, मिंट व सिट्रोनेला की खेती को जंगली जानवरों से बचाव में कारगर बताया।
डॉ. के. एस. पंत, निदेशक अनुसंधान, वी.सी.एस.जी. औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार ने रोगरोधी अखरोट रूटस्टॉक उत्पादन पर प्रकाश डाला।
डॉ. नरेंद्र कुमार, मुख्य उद्यान अधिकारी, अल्मोड़ा ने जलवायु सहिष्णु बागवानी, सब्जी प्रजाति विकास एवं हार्टी-टूरिज्म को बढ़ावा देने पर बल दिया।
डॉ. अरुण किशोर, प्रमुख, केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, मुक्तेश्वर ने सेब एवं अखरोट की नवीन प्रजातियों की जानकारी दी।
डॉ. के. एम. रॉय, प्रभारी, राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, भवाली ने विकसित कृषि संकल्प अभियान में प्राप्त किसानों की समस्याओं को साझा किया।
डॉ. बांके बिहारी, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने फसलों में रोग-कीट प्रबंधन हेतु विकसित तकनीकों पर चर्चा की।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, मुक्तेश्वर के प्रतिनिधि ने पर्वतीय पशुधन संरक्षण एवं पशु गृह डिजाइनों के विकास की आवश्यकता बताई।
बैठक के दौरान ‘‘हिमालय को कैसे बचाया जाए’’ विषय पर भी गहन चर्चा हुई। अंत में निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने सभी विचारों का समायोजन कर कृषि शोध योग्य मुद्दों एवं रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुशाग्रा जोशी, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निर्मल कुमार हेडाउ, प्रभागाध्यक्ष (फसल सुधार) ने दिया।





