
संवाददाता, अल्मोड़ा
अल्मोड़ा।
नगर में चल रहे बहुप्रतीक्षित कुमाऊं महोत्सव ने शनिवार की शाम को एक नए रंग में ढाल दिया। संस्कृति, संगीत और नृत्य की इस महफिल में प्रसिद्ध कुमाऊंनी गायक इंदर आर्या ने अपने सुरों का ऐसा जादू बिखेरा कि हर कोई झूमने को मजबूर हो गया। उनके लोकप्रिय लोकगीतों और युवा दिलों को छूने वाले गीतों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के दौरान जैसे ही इंदर आर्या ने मंच संभाला, वैसे ही भीड़ से तालियों की गड़गड़ाहट और मोबाइल फ्लैशलाइट्स की चमक बढ़ गई। उन्होंने “जरा मांठू मांठू हिट”, “ राम दाई का होटला”, “बोल हीरा बोल” जैसे गीतों को जब पेश किया, तो युवा से लेकर बुजुर्ग तक झूम उठे। उनके सुरों की मिठास ने श्रोताओं को लोकसंस्कृति की गहराइयों से जोड़ा और माहौल को पूरी तरह संगीतमय बना दिया।
इंदर आर्या के गायन के साथ मंच पर अल्मोड़ा की प्रतिभाशाली कलाकाराएं पलक तिवारी और सांची वर्मा ने अपनी नृत्य प्रस्तुतियों से समा बांध दिया। पारंपरिक कुमाऊंनी परिधानों में सजी इन दोनों लोक नृत्यांगनाओं ने दर्शकों का मन मोह लिया। ताल, भाव और मुद्राओं की सुंदर प्रस्तुति ने हर किसी को लोकनृत्य की समृद्ध विरासत से रूबरू कराया। मंच पर जब इंदर के गीतों पर पलक और सच्ची थिरकीं, तो पूरा पंडाल तालियों की गूंज से गूंज उठा।


पलक तिवारी
महोत्सव का सफल संचालन और आयोजन आयोजक मंडल के प्रयासों का परिणाम है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से राजेंद्र तिवारी, हरीश कनवाल, डॉ. संतोष बिष्ट, मुराद खान, अमरनाथ नेगी, जगदीश वर्मा, हर्षिता तिवारी, शगुन त्यागी, नगर के युवा पार्षद वैभव पांडे, छात्र संघ उपाध्यक्ष युवाम वोहरा, पार्षद अभिषेक जोशी समेत कई गणमान्य नागरिक और सांस्कृतिक प्रेमी उपस्थित रहे।
महोत्सव के आयोजकों ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाना और लोक कलाकारों को मंच प्रदान करना है। उन्होंने यह भी बताया कि आगामी दिनों में महोत्सव में और भी रंगारंग प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी, जिनमें पारंपरिक लोकगीतों, नुक्कड़ नाटकों और हस्तशिल्प प्रदर्शनियों की श्रृंखला शामिल है।
कुमाऊं महोत्सव अल्मोड़ा के सांस्कृतिक जीवन में एक जीवंत हस्ताक्षर बनता जा रहा है और इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि लोकसंस्कृति आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।





