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Khabar Satyvartaa > उत्तराखण्ड > अल्मोड़ा > Almora Dussehra Festival: अल्मोड़ा दशहरा महोत्सव: प्रशासन की अनदेखी और सांस्कृतिक चिंताएँ
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Almora Dussehra Festival: अल्मोड़ा दशहरा महोत्सव: प्रशासन की अनदेखी और सांस्कृतिक चिंताएँ

कपिल मल्होत्रा
Last updated: October 4, 2024 5:37 pm
कपिल मल्होत्रा
1 year ago
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अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव, जो स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है, इस वर्ष प्रशासनिक लापरवाही के चलते गंभीर संकट में है। हाल ही में आयोजित पत्रकार वार्ता में पदाधिकारियों ने स्पष्ट रूप से प्रशासन और सरकार पर आरोप लगाया कि वे इस महत्वपूर्ण महोत्सव को अनदेखा कर रहे हैं। अध्यक्ष अजित कार्की ने इस मुद्दे को उठाते हुए बताया कि प्रशासन ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक स्थान का वादा किया था, लेकिन अब तक वहां कोई कार्य नहीं हुआ है। इस कारण दशहरा समिति ने इस वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन न करने का निर्णय लिया है।

Contents
  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों की महत्ता
  • प्रशासन की लापरवाही
  • शत्रु संपत्ति का उपयोग
  • पुष्प वर्षा की मांग
  • संस्कृति की सुरक्षा की आवश्यकता
  • स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
  • सांस्कृतिक पहचान का महत्व
  • भविष्य की संभावनाएँ
  • निष्कर्ष

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की महत्ता

दशहरा महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय की एकता, संस्कृति और पहचान का प्रतीक है। हर वर्ष, इस महोत्सव के दौरान हजारों लोग एकत्र होते हैं, जिससे न केवल सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखा जाता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। लेकिन इस वर्ष के आयोजन के लिए जिस प्रकार की स्थिति बन रही है, वह अल्मोड़ा की सांस्कृतिक पहचान को गंभीर खतरे में डाल सकती है।

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प्रशासन की लापरवाही

अजित कार्की ने पत्रकार वार्ता में प्रशासन के वादों के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए निर्धारित स्थान का वादा किया गया था, लेकिन वहां कोई कार्य नहीं हुआ है। इससे न केवल महोत्सव की रौनक घटेगी, बल्कि स्थानीय समुदाय की सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी प्रभावित होंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने जल्दी कदम नहीं उठाए, तो इससे अल्मोड़ा की सांस्कृतिक धरोहर को बड़ा नुकसान हो सकता है।

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शत्रु संपत्ति का उपयोग

पत्रकार वार्ता में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया—अल्मोड़ा में स्थित शत्रु संपत्ति को दशहरा समिति और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग में लाने की मांग। स्थानीय समुदाय का मानना है कि यदि प्रशासन इन संपत्तियों का सही उपयोग करे, तो यह न केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करेगा।

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पुष्प वर्षा की मांग

अध्यक्ष अजित कार्की ने यह भी मांग की कि जिस प्रकार हरिद्वार में कुम्भ मेले के दौरान पुष्प वर्षा का आयोजन किया जाता है, उसी तरह अल्मोड़ा में दुर्गा शोभा यात्रा के दौरान भी पुष्प वर्षा की व्यवस्था की जाए। यह स्थानीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक विशेष अनुभव होगा और अल्मोड़ा की संस्कृति को और अधिक समृद्ध बनाएगा।

संस्कृति की सुरक्षा की आवश्यकता

अजित कार्की ने पत्रकार वार्ता में यह भी बताया कि अल्मोड़ा की संस्कृति को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि इस महोत्सव का उचित ध्यान नहीं दिया गया, तो यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के लिए एक बड़ा खतरा होगा। उनके अनुसार, यह केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सक्रिय होना होगा।

स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर स्थानीय निवासियों ने भी अपनी आवाज उठाई है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ प्रदर्शन किया है और इस महोत्सव को बचाने के लिए समर्थन मांगा है। यह स्पष्ट है कि अल्मोड़ा के लोग अपने सांस्कृतिक उत्सव को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करने का संकल्प ले चुके हैं।

सांस्कृतिक पहचान का महत्व

अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह स्थानीय पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी अनदेखी करने का मतलब है स्थानीय संस्कृति को मिटाना। यदि प्रशासन और सरकार ने इस दिशा में जल्द कदम नहीं उठाए, तो यह निश्चित रूप से एक गंभीर विषय बन जाएगा।

भविष्य की संभावनाएँ

इस स्थिति को देखते हुए, यह आवश्यक हो गया है कि प्रशासन स्थानीय संस्कृति और त्योहारों के महत्व को समझे और उनकी उचित देखभाल करे। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो न केवल अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव प्रभावित होगा, बल्कि इससे स्थानीय संस्कृति की समृद्धि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

निष्कर्ष

अंत में, अल्मोड़ा दशहरा महोत्सव की स्थिति एक गंभीर चुनौती है। यह समय है जब स्थानीय समुदाय, प्रशासन, और सरकार को एक साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। यदि हम अपने सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ इसे केवल एक याद के रूप में जानेंगी। हमें मिलकर इस महोत्सव को बचाना होगा और इसे और अधिक समृद्ध और जीवंत बनाना होगा। अल्मोड़ा की संस्कृति को बनाए रखने और उसकी पहचान को सुरक्षित रखने के लिए सभी को एकजुट होना होगा।

पत्रकार वार्ता में आनंद बगडवाल , किशन लाल, वैभव पांडेय, बिन्नी वैष्णव , मनोज सनवाल , मनोज वर्मा , अशोक पांडेय , कैलाश गुरुरानी, हरीश कनवाल, सलमान अंसारी, उज्जवल जोशी, हितेश नेगी, दीप जोशी, निर्मल उप्रेती, आशीष गुरुरानी, मुकुल कुमार, हर्षित टम्टा आदि लोग मजूद रहे।

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