
एक्ट 2017 के तहत वार्षिक स्थानांतरण में हो रही देरी पर जताई नाराजगी
अल्मोड़ा। संवाददाता।
उत्तराखंड में स्थानांतरण नीति को लेकर एक बार फिर से कर्मचारी संगठनों ने आवाज बुलंद की है। उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन जनपद अल्मोड़ा ने सरकार से मांग की है कि स्थानांतरण अधिनियम 2017 के अंतर्गत जिन विभागों में अब तक वार्षिक स्थानांतरण नहीं हुए हैं, वहां तत्काल कार्रवाई की जाए।
संगठन के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार जोशी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिगंबर दत्त फुलोरिया, सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने संयुक्त बयान में कहा कि शिक्षा विभाग जैसे बड़े विभागों में भी स्थानांतरण अधिनियम के तहत समय से कार्रवाई नहीं हो पा रही है, जिससे कर्मचारियों में रोष है। उन्होंने कहा कि पदोन्नति और स्थानांतरण दोनों महत्वपूर्ण पहलू हैं और दोनों को समान दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
“जब एक्ट लागू हो चुका है, तो अदालतों को भी समयबद्ध तरीके से मामलों का निस्तारण करना चाहिए, न कि पूरे सत्र के स्थानांतरण पर रोक लगाई जाए,” — डॉ. जोशी ने कहा।
सचिव धीरेन्द्र पाठक ने कहा कि जिन मामलों में न्यायालय की रोक नहीं है, वहां वार्षिक स्थानांतरण के आदेश तुरंत जारी किए जाने चाहिए। स्थानांतरण रुकने से एक्ट की भावना ही विफल हो रही है और इसका खामियाजा दूरस्थ, गंभीर रूप से बीमार, एकल अभिभावक व सेवा निवृत्तिकाल निकट वाले कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है।
संगठन ने स्पष्ट कहा कि यदि नीति में कोई त्रुटि है तो उसे सुधारा जाए, परंतु स्थानांतरण किसी भी दशा में पूर्ण रूप से नहीं रुकना चाहिए।
“हर विभाग में स्थानांतरण आदेश जारी करना सरकार की नैतिक व संवैधानिक जिम्मेदारी है,” — धीरेन्द्र पाठक।
संगठन के अन्य पदाधिकारियों — उपाध्यक्ष महेश आर्य, संयुक्त मंत्री तारा सिंह बिष्ट, भगवत सिंह सतवाल, संगठन मंत्री डी.के. जोशी, राजेन्द्र सिंह लटवाल, ऑडिटर दीपशिखा मेलकन्या, कोषाध्यक्ष संजय जोशी, तथा संरक्षक मंडल सदस्य पी.एस. बोरा, गोकुल मेहता, रमेश पांडेय, महेंद्र सिंह गुसाईं ने भी अधिनियम के तहत तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है।
संगठन ने यह भी कहा कि राज्य सरकार यदि अधिनियम को लागू नहीं कर पा रही है, तो उसे जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि विफलता कहां है और किन कारणों से प्रक्रिया अधर में लटकी है।
“आज राज्य में शासन-प्रशासन की छवि धूमिल होती जा रही है। हर निर्णय में दोहरी नीति और ‘फूट डालो राज करो’ जैसी कार्यप्रणाली से कर्मचारियों का भरोसा टूट रहा है। न्यायालयों की देरी भी मानवीय अधिकारों का उल्लंघन कर रही है,” — डॉ. जोशी व धीरेन्द्र पाठक ने जोड़ा।
संगठन ने चेताया कि यदि जल्द ही स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो कर्मचारी संगठन व्यापक आंदोलन को बाध्य होंगे।





