
नगर निगम अल्मोड़ा में उपेक्षित समस्याओं को लेकर पार्षदों का धरना जारी
अल्मोड़ा। नगर निगम क्षेत्र की उपेक्षित समस्याओं को लेकर पार्षदों का धरना बुधवार को भी जारी रहा। पार्षदों ने अपनी दो प्रमुख मांगों को पुनः दोहराते हुए प्रशासन से तत्काल कार्यवाही की अपील की है। उनका कहना है कि नगर निगम में ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बावजूद जनहित के कार्य ठप पड़े हैं, जिससे नगर की व्यवस्था चरमराती जा रही है।
प्रमुख मांगों में पहली मांग नगर आयुक्त की तुरंत नियुक्ति किए जाने की है। पार्षदों का कहना है कि नगर आयुक्त की नियुक्ति नहीं होने से विकास से जुड़े निर्णय ठप पड़े हैं। कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की फाइलें बिना हस्ताक्षर लंबित हैं, जिससे जनता तक सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। दूसरी बड़ी मांग शहर में लगातार बढ़ते बंदरों के आतंक को नियंत्रित करने की है। पार्षदों ने कहा कि बंदरों के हमले बढ़ते जा रहे हैं और रोजाना कई लोग घायल हो रहे हैं, लेकिन वन विभाग और नगर निगम इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज कर रहा है।
धरने में आज पार्षद प्रदीप कुमार, दीपक कुमार, वैभव पांडे, अनुप भारती, चंचल दुर्गापाल, रीना टम्टा, गुंजन चम्याल, हेम तिवारी, भूपेंद्र जोशी, मुकेश कुमार, कुलदीप मेर, मधु बिष्ट, नवीन आर्य, इंतिक्वाब आलम कुरैशी, तुलसी देवी, रोहित कार्की, कमला किरोला और गीता बिष्ट सहित अन्य पार्षद उपस्थित रहे। सभी पार्षद समान स्वर में बोले कि जब तक दोनों मांगों पर ठोस और लिखित निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
पार्षदों ने कहा कि निगम प्रशासन के पास नेतृत्व की कमी के कारण निर्णय लेने और कार्यों को सुचारु रूप से करवाने में बाधा उत्पन्न हो रही है। ट्रिपल इंजन की सरकार पर निशाना साधते हुए पार्षदों ने कहा कि नगर निगम, राज्य सरकार और केंद्र सरकार एक ही दल की होने के बावजूद अल्मोड़ा की जनता को राहत नहीं मिल रही है। यह साबित करता है कि सरकार जन समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है।
धरने के दौरान पार्षदों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि शासन-प्रशासन उनकी मांगों को जल्द नहीं मानता तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। आने वाले दिनों में नगर निगम के कार्यों को प्रतीकात्मक रूप से बंद करने समेत बड़े कदम उठाए जाएंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।


