
अल्मोड़ा। भाकृअनुप–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा में “कृषि संरचनाओं और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक इंजीनियरिंग पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना” की 21वीं वार्षिक कार्यशाला का आयोजन 30 अक्टूबर से 1 नवम्बर, 2025 तक किया जा रहा है।
इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य कृषि संरचनाओं एवं पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक इंजीनियरिंग के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देना, संरक्षित खेती से संबंधित नवीनतम प्रौद्योगिकियों एवं अनुसंधान निष्कर्षों का आदान-प्रदान करना है।
इस अवसर पर देशभर के 14 सहयोगी केन्द्रों—अल्मोड़ा (उत्तराखंड), भुवनेश्वर (ओडिशा), लुधियाना एवं अबोहर (पंजाब), उमियम (मेघालय), जूनागढ़ (गुजरात), रांची (झारखंड), श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर), गंगटोक (सिक्किम), उदयपुर (राजस्थान), डापोली (महाराष्ट्र), दिरांग (अरुणाचल प्रदेश), मखदूम (उत्तर प्रदेश) तथा रायचूर (कर्नाटक)—से लगभग 50 से अधिक वैज्ञानिक, कृषि अभियंता, नीति निर्माता एवं प्रसार कार्यकर्ता भाग लेंगे।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कृषि में प्लास्टिक के वैज्ञानिक एवं स्थायी उपयोग को प्रोत्साहित करना है। इसमें विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप प्लास्टिक आधारित संरचनाओं जैसे सिंचाई प्रणाली, भंडारण, पशु आवास, संरक्षित खेती, एक्वाकल्चर संरचनाएँ तथा नाशवंत कृषि उत्पादों के परिवहन व पैकेजिंग से जुड़ी तकनीकों पर गहन चर्चा की जाएगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे डॉ. एस. एन. झा, उप महानिदेशक (इंजीनियरिंग), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली। विशिष्ट अतिथियों में डॉ. के. नरसैय्या, सहायक महानिदेशक (प्रोसेस इंजीनियरिंग), आईसीएआर, नई दिल्ली; डॉ. नचिकेत कोटवालीवाले, निदेशक, भाकृअनुप–केन्द्रीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, लुधियाना; तथा डॉ. राकेश शारदा, परियोजना समन्वयक, उक्त अनुसंधान परियोजना, शामिल रहेंगे।
संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार यह कार्यशाला कृषि क्षेत्र में प्लास्टिक इंजीनियरिंग, नवाचार एवं पर्यावरणीय प्रबंधन के नए आयाम प्रस्तुत करेगी। साथ ही यह सतत एवं तकनीकी रूप से सुदृढ़ कृषि प्रणाली के विकास में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी।





