
अल्मोड़ा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (भाकृअनुप-वीपीकेएएस), अल्मोड़ा द्वारा दिनांक 19 से 22 अगस्त 2025 तक 20वां गाजर घास जागरूकता सप्ताह आयोजित किया गया। यह आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत के मार्गदर्शन में किया गया।
इस दौरान संस्थान के हवालबाग फार्म सहित विभिन्न क्षेत्रों में पार्थेनियम (गाजर घास) जागरूकता और उन्मूलन कार्यक्रम चलाए गए।
19 अगस्त को डीएसबी कैंपस, नैनीताल के बीएससी एग्रीकल्चर (RAWE) के छात्र-छात्राओं को गाजर घास के फसल उत्पादन, पशु एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया। साथ ही फार्म के अलग-अलग क्षेत्रों में दो घंटे का उन्मूलन कार्यक्रम संचालित हुआ।
20 अगस्त को संस्थान परिसर, अल्मोड़ा में गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम चलाया गया।
21 अगस्त को संस्थान की हवालबाग आवासीय कॉलोनी में गाजर घास उन्मूलन अभियान चलाने के साथ ही कॉलोनीवासियों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया गया।
22 अगस्त को ज्ञान विज्ञान चिल्ड्रन्स एकेडमी, हवालबाग, अल्मोड़ा में विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों के बीच पार्थेनियम के मानव स्वास्थ्य, पशु कल्याण और पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों पर चर्चा हुई और उन्मूलन के प्रभावी उपायों पर जानकारी दी गई। इसी दिन संस्थान के प्रायोगिक फार्म, हवालबाग में पार्थेनियम जागरूकता पर एक गोष्ठी आयोजित की गई।
गोष्ठी में संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. कृष्णकांत मिश्रा ने पार्थेनियम से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं, फसल उत्पादकता की हानि तथा जैव विविधता पर खतरे की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह खरपतवार अब तक 45 से अधिक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में फैल चुका है और जलवायु परिवर्तन के चलते इसकी आक्रामकता और बढ़ने की संभावना है। उन्होंने प्रतिभागियों से बड़े पैमाने पर उन्मूलन और जागरूकता कार्यक्रम चलाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश चंद घासल ने पार्थेनियम के प्रबंधन विकल्पों पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिक, तकनीकी व प्रशासनिक कर्मचारी, सहायक स्टाफ और RAWE के छात्र-छात्राओं ने सक्रिय भागीदारी की।
कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार ने किया।





