
अल्मोड़ा/नैनीताल।
एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स एसोसिएशन कुमाऊं मंडल नैनीताल के पूर्व मंडलीय सचिव (कार्यकाल 2008–2023) धीरेन्द्र कुमार पाठक ने सरकार, शासन और विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि नए अधिकार और सुविधाएं देना संभव न हो तो कम से कम पहले से मिले अधिकार तो न छीने जाएं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में पदोन्नति प्रक्रिया में फारगो नियमावली लागू कर दी गई है, जिसके तहत यदि कोई कार्मिक पदोन्नति में नहीं जाता है तो उसे आगे भी पदोन्नति का अवसर नहीं मिलेगा। इसी प्रकार, स्थानांतरण नीति के तहत हर वर्ष अनिवार्य स्थानांतरण (सुगम से दुर्गम, दुर्गम से सुगम व अनुरोध आधारित) होते थे, लेकिन न्यायालयीय वाद के नाम पर स्थानांतरण नीति लागू नहीं की जा रही है। इस प्रकार कार्मिकों का स्थानांतरण का अधिकार भी छीन लिया गया है।
पाठक ने कहा कि गोल्डन कार्ड की विसंगतियां बरकरार हैं, सभी चिकित्सालयों में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है और एसजीएचएस के अंतर्गत चिकित्सा प्रतिपूर्ति चार माह से लंबित चल रही है। पहले चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान निशुल्क होता था, जबकि अब वेतन से पाँच से आठ हजार रुपये कटौती के बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है।
उन्होंने बताया कि शिथिलीकरण के तहत भर्ती वर्ष के भीतर पदोन्नति हर हाल में मिलती थी, लेकिन अब इसे अगले भर्ती वर्ष में खींचा जा रहा है जिससे कार्मिकों का नुकसान हो रहा है। फिलहाल, कुमाऊं मंडल नैनीताल और गढ़वाल मंडल में कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक पद पर 200 से अधिक पदोन्नतियां बाधित हैं। सितम्बर माह तक पदोन्नति न हो पाने से कर्मचारियों में विभाग के प्रति गहरा रोष व्याप्त है।
पूर्व सचिव पाठक ने कहा कि विभाग के अधिकारियों को समय पर निर्णय लेने की क्षमता विकसित करनी चाहिए ताकि कोई भी प्रकरण लंबित न रहे। उन्होंने लंबित मामलों में त्वरित निर्णय की मांग करते हुए कहा कि—
मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को लेवल 11 का प्रख्यापन और आहरण-वितरण का अधिकार मिले।
प्रधान सहायक व प्रशासनिक अधिकारी को मिलाकर प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
उप शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में अतिरिक्त पदों का सृजन हो।
सूचना का अधिकार व सेवा का अधिकार के तहत आवश्यक पद निर्मित किए जाएं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कार्मिक स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और सरकार, शासन व विभाग की साख तेजी से गिर रही है। विधानसभा में पारित वार्षिक स्थानांतरण नीति का लागू न होना भी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रेस को जारी बयान में धीरेन्द्र कुमार पाठक ने मुख्यमंत्री से सभी लंबित मामलों को संज्ञान में लेने और संबंधित अधिकारियों को तत्काल निर्देश जारी करने की मांग की ताकि कार्मिकों के अधिकार सुरक्षित रहें और मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो।





