
अल्मोड़ा। नगर में लगातार बढ़ रहे बंदरों के आतंक ने जनजीवन पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। स्थानीय नागरिकों में बढ़ती नाराजगी अब उबाल पर है। नगर निगम पार्षद वैभव पांडे ने इस गंभीर समस्या को लेकर नगर निगम अल्मोड़ा और वन विभाग को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि एक सप्ताह के भीतर ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो 9 दिसंबर से जन आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
पांडे ने बताया कि शहर में बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण लोगों का सामान्य जीवन कठिनाइयों से घिर गया है। बच्चों के लिए सुरक्षित तरीके से स्कूल पहुंचना मुश्किल हो गया है। कई बार बंदरों द्वारा किए गए हमलों के कारण अभिभावक दहशत में हैं। महिलाओं के लिए बाजार तक आना-जाना चुनौती बन गया है, वहीं बुजुर्गों को घर से बाहर निकलने में भी डर लगने लगा है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि लोग सुबह-शाम घरों की छतों और आंगनों में भी असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
बंदरों द्वारा नगर की संरचनाओं को नुकसान पहुंचाने की घटनाएँ भी लगातार बढ़ रही हैं। कई इलाकों में बंदरों ने स्ट्रीट लाइटों को तोड़ दिया है और पोलों के विद्युत तारों को नुकसान पहुंचाया है, जिसके चलते अंधेरा और अव्यवस्था बनी हुई है। इससे न केवल दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ी है, बल्कि रात्रि सुरक्षा भी प्रभावित हुई है।
पार्षद पांडे ने आरोप लगाया कि नगर निगम और जिला प्रशासन को इस समस्या से कई बार अवगत कराने के बावजूद अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि टेंडर प्रक्रिया और विभागीय औपचारिकताओं के नाम पर नागरिकों और जनप्रतिनिधियों को बार-बार भ्रमित किया जा रहा है, जो अब असहनीय हो चुका है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनता अब और इंतजार नहीं करेगी।
उन्होंने घोषणा की कि यदि प्रशासन ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो आगामी 9 दिसंबर से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा। आंदोलन की शुरुआत गांधी पार्क में धरने के साथ की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर इसे और व्यापक रूप दिया जाएगा।
स्थानीय नागरिकों ने भी पार्षद के कदम का समर्थन करते हुए प्रशासन से मांग की है कि वे तत्काल कार्रवाई करें, ताकि शहर को बंदरों के आतंक से निजात मिल सके और सामान्य जीवन पुनः पटरी पर लौट सके।





