
देहरादून।
देवभूमि उत्तराखण्ड की विधानसभा ने बुधवार को एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज किया, जब राज्य की स्थापना की रजत जयंती (25 वर्ष पूर्ण होने) के अवसर पर आयोजित विशेष सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सौ वर्ष पूर्ण होने पर संगठन के राष्ट्रनिर्माण में योगदान की औपचारिक सराहना की।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड विधानसभा देश की पहली संवैधानिक संस्था बन गई, जिसने संघ के सामाजिक जागरण, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्रनिर्माण में दिए गए योगदान को सदन के पटल पर आधिकारिक मान्यता प्रदान की।
मुख्यमंत्री धामी ने अपने वक्तव्य में कहा कि “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सौ वर्षों की तपोमय यात्रा के माध्यम से भारत में सांस्कृतिक पुनरुत्थान, सामाजिक समरसता, आत्मगौरव और राष्ट्रनिष्ठ सेवा की ऐसी धारा प्रवाहित की है जिसने देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय चेतना की अखंड ज्योति प्रज्वलित की है।”
उन्होंने कहा कि जो भारत कभी गुलामी की मानसिकता से ग्रस्त था, आज वही अपने सांस्कृतिक मूल्यों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और परंपराओं पर गर्व करता है — यह आत्मगौरव संघ की शताब्दी तपस्या का ही परिणाम है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड ने अपने 25 वर्षों के विकास सफर में अनेक चुनौतियों का सामना किया है, किंतु राज्य ने सदैव विकल्प रहित संकल्प के साथ प्रगति की राह पर कदम बढ़ाया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले वर्षों में जनता के सहयोग से उत्तराखण्ड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाया जाएगा।
सत्र के समापन पर मुख्यमंत्री धामी ने संघ शाखा में गाए जाने वाले प्रेरक गीत की पंक्तियों के साथ अपने उद्बोधन का समापन किया
“ये उथल-पुथल उछाल लहर, पथ से न डिगाने पाएगी,
पतवार चलाते जाएंगे, मंज़िल आएगी, आएगी…”
इस ऐतिहासिक सत्र में पूरे सदन में एकता, आत्मगौरव और राष्ट्रभक्ति की भावना का वातावरण छा गया।
उत्तराखण्ड विधानसभा द्वारा पारित यह भावनात्मक प्रस्ताव न केवल राज्य बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए संघ की शताब्दी सेवा यात्रा को सम्मानित करने वाला स्वर्णिम क्षण बन गया।




